जब सिंगल था तो सोचता था, प्यार व्यार बस बकवास;
लड़की वडकी, चक्कर शक्कर (no pun intended) या पेक्षा बरा अभ्यास!
पर उसकी सुन्दर आखों को देख कर, न रह पाया मै अकेला;
और बिना सोचे, बिना समझे, मोल ले लिया ये झमेला!
अब सोचता रहता हु रातोमे, जब भी मै वक़्त पाऊ;
मेरी गर्लफ्रेंड को घुमाने कहा ले जाऊ?
सीसीडी में rush है, चोकोलेट रूम में दोस्त;
University के फोटोस तो करता है हर कोई पोस्ट!
लेवल ९ पर तो मैंने ही, कई couples की उड़ाई थी;
चतुश्रुंगी में तो सुना है, पूरी क्लास नज़र आयी थी!
काफ्फी स्टॉप पर जाके क्या रिश्ते की नुमाइश कराऊ?
मेरी गर्लफ्रेंड को घुमाने अब जाऊ तो कहा जाऊ?
आ गया आखरी सेम, अब जुदाई की बारी है;
मै तो टेंशन नहीं लेता, बस उसीको हुई बीमारी है!
बात बात पर जाने का जीकर, करके मुझे सताती है;
“आता नाही भेटला, तर मग केव्हा भेटणार?” कह कर बड़ा भगाती है!
बस अब हर पल ये प्रार्थना करता हु, के मै जल्दी चैन पाऊ;
और अगर सुन ही रहा है तो ये भी बतादे भगवान,
मेरी गर्लफ्रेंड को घुमाने कहा ले जाऊ?